Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रेम का प्याला छिप जाएं कोई देखें ना , कोई कंकड

 प्रेम का प्याला

छिप जाएं कोई देखें ना ,
कोई कंकड़ हम पर फेंके ना ,
जब सारी दुनिया सो जाए ,
एक प्रेम का प्याला हो जाए ।

छोड़ो अकाल व वृष्टि को ,
भूल जाएं सारी सृष्टि को ,
चलो एक दूजे में खो जाएं ,
एक प्रेम का प्याला हो जाए ।

यह प्रेम - वसंत कभी खत्म ना हो ,
कोई क्लेश,द्वेष की रस्म ना हो ,
चलो प्रेम का बीज बो आएं ,
एक प्रेम का प्याला हो जाए ।

✒️👉रचनाकार-' धर्मेंद्र कुमार शर्मा '
     👉गांव-केरका नबीनगर
            औरंगाबाद बिहार

©धर्मेंद्र कुमार शर्मा
  #Dharmendra Kumar Sharma kavita