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होता व्यथित मानव हृदय,उर कल्पना-हाला उठी। वसुधा व्

होता व्यथित मानव हृदय,उर कल्पना-हाला उठी।
वसुधा व्यथा से चीखती इंसानियत चिल्ला उठी।
बेखौफ अपराधी  सड़क पर  हों खुले जब घूमते,
असि हो गई निस्तेज, तब कर-समसि हो ज्वाला उठी।
अरुण शुक्ल "अर्जुन"
प्रयागराज Neha Panwar Akanksha Mani khushi Khushi 😄 Ankrita Tiwari
होता व्यथित मानव हृदय,उर कल्पना-हाला उठी।
वसुधा व्यथा से चीखती इंसानियत चिल्ला उठी।
बेखौफ अपराधी  सड़क पर  हों खुले जब घूमते,
असि हो गई निस्तेज, तब कर-समसि हो ज्वाला उठी।
अरुण शुक्ल "अर्जुन"
प्रयागराज Neha Panwar Akanksha Mani khushi Khushi 😄 Ankrita Tiwari