पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल पग-पग पर सृजन करता नव- संसार का उचित होगा अगर कहूं पायलें रही हैं भव्य पथ श्रृंगार का और मेरे लिए ये बेड़ियां कभी न होंगी... -तुम्हारी प्रेयसी पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल