मेरी आवाज, सुनाई नही देती किसी को। वो डरा धमका रहे है, आज सभी को कुछ हाथों में, हाथ रख कर बैठे है। कुछ कानून से ,आस लगाए बैठे। कुछ कानून हाथ में लेकर, न्याय करने चले है। गोली तमंचों से, फैसला करने लगे है। उनको किसी का,खौफ नहीं है। कानून से उनको भय नहीं है। शांति में उनका ,विश्वास नहीं है। मेरा ऐसा लिखना ,क्या सही नही है। जैन नवीन ©Naveen Jain जस्टिस