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{Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कारण से जब मृत्यु

{Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी भी कारण से जब मृत्यु दिवस के दिन कोई दाह संस्कार नहीं हो पाता है, पर तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा। ध्यान रहे कि अग्निहोत्र करने वालों के लिए सूतक काल दस दिनों तक के लिए ही माना जाता है। यदि कन्या का विवाह हो जाता है।

उसके पश्चात माता पिता की मृत्यु हो तो विवाहिता स्त्री के लिए तीन दिन का सूतक माने जाने की परंपरा है। वहीं, मृत्यु के पश्चात जब तक घर में शव रहे तब तक वहां उपस्थित सभी गोत्र के लोगों को सूतक का दोष लगता है। और तो और कोई भी व्यक्ति किसी और जाति के व्यक्ति को कंधा देता है या उसके घर में रहता है, वहां भोजन करता है तो उसके लिए भी सूतक काल दस दिनों तक के लिए मान्य होगा।

एक और बात अगर कोई भी व्यक्ति सिर्फ शव को कंधा देने के लिए मौजूद होते हैं, तो उनके लिए सूतक काल एक दिन के लिए ही मान्य माना जाता है। दाह संस्कार अगर दिन के समय ही संपन्न हो जाए तो शव यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को सूर्यास्त के पश्चात सूतक दोष नहीं लगता।

वहीं, रात्रि में दाह संस्कार होने पर सूर्योदय से पूर्व तक सूतक दोष रहता है। बताते चलें कि सूतक काल में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य तथा परिवार के सदस्यों के लिए श्रृंगार आदि करना वर्जित कहा गया है।

©N S Yadav GoldMine
  {Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी भी कारण से जब मृत्यु दिवस के दिन कोई दाह संस्कार नहीं हो पाता है, पर तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा। ध्यान रहे कि अग्निहोत्र करने वालों के लिए सूतक काल दस दिनों तक के लिए ही माना जाता है। यदि कन्या का विवाह हो जाता है।

उसके पश्चात माता पिता की मृत्यु हो तो विवाहिता स्त्री के लिए तीन दिन का सूतक माने जाने की परंपरा है। वहीं, मृत्यु के पश्चात जब तक घर में शव रहे तब तक वहां उपस्थित सभी गोत्र के लोगों को सूतक का दोष लगता है। और तो और कोई भी व्यक्ति किसी और जाति के व्यक्ति को कंधा देता है या उसके घर में रहता है, वहां भोजन करता है तो उसके लिए भी सूतक काल दस दिनों तक के लिए मान्य होगा।

एक और बात अगर कोई भी व्यक्ति सिर्फ शव को कंधा देने के लिए मौजूद होते हैं, तो उनके लिए सूतक काल एक दिन के लिए ही मान्य माना जाता है। दाह संस्कार अगर दिन के समय ही संपन्न हो जाए तो शव यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को सूर्यास्त के पश्चात सूतक दोष नहीं लगता।

वहीं, रात्रि में दाह संस्कार होने पर सूर्योदय से पूर्व तक सूतक दोष रहता है। बताते चलें कि सूतक काल में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य तथा परिवार के सदस्यों के लिए श्रृंगार आदि करना वर्जित कहा गया है।

{Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कारण से जब मृत्यु दिवस के दिन कोई दाह संस्कार नहीं हो पाता है, पर तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा। ध्यान रहे कि अग्निहोत्र करने वालों के लिए सूतक काल दस दिनों तक के लिए ही माना जाता है। यदि कन्या का विवाह हो जाता है। उसके पश्चात माता पिता की मृत्यु हो तो विवाहिता स्त्री के लिए तीन दिन का सूतक माने जाने की परंपरा है। वहीं, मृत्यु के पश्चात जब तक घर में शव रहे तब तक वहां उपस्थित सभी गोत्र के लोगों को सूतक का दोष लगता है। और तो और कोई भी व्यक्ति किसी और जाति के व्यक्ति को कंधा देता है या उसके घर में रहता है, वहां भोजन करता है तो उसके लिए भी सूतक काल दस दिनों तक के लिए मान्य होगा। एक और बात अगर कोई भी व्यक्ति सिर्फ शव को कंधा देने के लिए मौजूद होते हैं, तो उनके लिए सूतक काल एक दिन के लिए ही मान्य माना जाता है। दाह संस्कार अगर दिन के समय ही संपन्न हो जाए तो शव यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को सूर्यास्त के पश्चात सूतक दोष नहीं लगता। वहीं, रात्रि में दाह संस्कार होने पर सूर्योदय से पूर्व तक सूतक दोष रहता है। बताते चलें कि सूतक काल में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य तथा परिवार के सदस्यों के लिए श्रृंगार आदि करना वर्जित कहा गया है। #ज़िन्दगी

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