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प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द ही नहीं,


प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द ही नहीं, 
दुनिया में!

यह अकथनीय है,
इस अवस्था का वर्णन असंभव है।











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©brijesh mehta
  प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द ही नहीं, 
दुनिया में!

यह अकथनीय है,
इस अवस्था का वर्णन असंभव है।

#मंमाधन

प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द ही नहीं, दुनिया में! यह अकथनीय है, इस अवस्था का वर्णन असंभव है। #मंमाधन #Life

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