दीवारें कहती हैं, कि तुम्हें बिन बोले बात समझनी है ll कलुषित भावों की धारा की,मिलकर रफ्तार बदलनी है ll सब स्वार्थ पूर्ण, व्यवहार में डूबे, जाते हैं, इतराते हैं ll लेकिन यह भाषा परिभाषा के साथ,एक दिन जलनी है ll ©aakashsaral Aakash saral अनुराग "सुकून"