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जब हौंसले टूटे हो उम्मीदें साथ छोड़ चुकी हों जब को

जब हौंसले टूटे हो
उम्मीदें साथ छोड़ चुकी हों
जब कोई कंधा ना मिले 
सर टिकाने को
जब कोई हाथ ना हो
गिरते हुए उठाने को
जब तुम्हारे विश्वाश की लौ बुझ रही हो
तुम जाना उनकी शरण में
तुम्हें सुनाई देगी बंसी की मीठी धुन
तुम्हारे चित को भीतर तक प्रसन्न कर देगी
तुम्हें दिखाई देगी एक लौ टिमटिमाती हुई
उसी लौ का सिरा पकड़ कर तुम उठना
फिर से चलने की कोशिश करना
जब भी तुम लड़खड़ाओगे 
तुम स्वयं को उनके हाथों में संभला हुआ पाओगे ।।

©Kanchan Singla
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