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मीरा कहती है: मैंने परम धन पा लिया; परम संपदा पा

मीरा कहती है: मैंने परम धन पा लिया; 
परम संपदा पा ली। जिसको पा लेने के बाद फिर कुछ और पाने को नहीं 
बचता- ऐसा राम रतन पा लिया।

पाया कैसे? 
सब खोया तब पाया। 
कुछ भी नहीं बचाया अपने भीतर। 
शून्य हुई तो पूर्ण उतरा। मिटी तो परमात्मा का आगमन हुआ।

प्रेम की आग में जलोगे, मिट जाओगे,
 राख हो जाओगे तभी उसका आगमन होता है।
तुम्हारी राख में ही तुम्हारे भीतर उसका अंकुरण होता है। तुम जब
तक हो तब तक बाधा है।

मुझसे लोग पूछते हैं कि हम क्या करें? 
कौनसी बाधाएं हैं, जिन्हें हम अलग करें, ताकि परमात्मा मिल जाए?

मैं उनसे कहता हूं: तुम्हारे अतिरिक्त कोई और बाधा नहीं है।
 तुम हट जाओ बीच से। 
तुम अपने और परमात्मा के बीच मत खड़े होओ। 
तुम अपने को विदा दे दो। 
तुम अपने को नमस्कार कर लो सदा के लिए।
 और तुम पाओगे: कोई भी बाधा नहीं है।

ओशो

©Jasmine of December
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