रातों का तसव्वुर है उनका और चुपके-चुपके रोना है । ऐ सुब्ह के तारे तू ही बता अन्जाम मिरा क्या होना है । इन नौ-रस आँखों वालों का क्या हँसना है, क्या रोना है, बरसे हुए सच्चे मोती हैं बहता हुआ ख़ालिस सोना है । दिल को खोया ख़ुद भी खोए, दुनिया खोई, दीन भी खोया, ये गुम-शुदगी है तो इक दिन ऐ दोस्त तुझे भी खोना है । तमईज़-ए-कमाल-ओ-नक्स उठा ये तो रौशन है दुनिया पर, मैं चन्दन हूँ तू कुन्दन है मैं मिट्टी हूँ तू सोना है । तू ये न समझ लिल्लाह कि है तस्कीन तिरे दीवानों को, वहशत में हमारा हँस पड़ना दर-अस्ल हमारा रोना है । मातम है मेरी आवाज़ शिकस्त-ए-साज-ए-दिल-ए-सद-पारा का सागर मेरा नग़्मा भी दीपक के सुरों में रोना है राजोतिया भुवनेश ©Rajotiya Bhuwnesh jangir चुपके चुपके रोना #SunSet