Reena Bhardwaj Thought फेवरेटिज्म की ऊपज अध्यापक में न्यारी, हर कोई खुश पाकर मनपसंद स्थानांतरण की फुलवारी, लेकिन जब आॅन लाईन की होगी बारी, तो कौन चड़ेगा नेताओं की द्वारी, किस काम के लिए मोहताज होगा अध्यापक कर्मचारी, घर घर से जुड़े अध्यापक, क्योंकि बच्चों में अध्यापक व माता पिता की जान अटकी भारी, इसलिए चुनाव में आँकड़े बदलने में अध्यापक भारी, जब नेताओं की न पड़े जरूरत, काम होगा स्वत:विस्मयकारी, तो किस दल पक्ष में आएगा अध्यापक सूझबूझधारी, कहीं ऐसा वक्त भी आएगा कि, अध्यापक स्वयं बने राजनीतिक दल भारी, चुनाव में उतरे, नए दल निर्माण की चले तरकारी, समझ न आए, स्थानांतरण किस के लिए ज्यादा व्यंग्य कारी, अध्यापक या नेता, असमंजस में बुद्धि बेचारी, रीना भारद्वाज reena #StreetNight