तुम कह कर तो देखते ... हां कुछ दिनों से वो परेशान तो था ऊपर से साफ सुथरा भीतर से कोई निशान तो था बोलता था पहले बहुत कुछ पर अब वो खामोश था होश केवल उसे जिस्मानी था भीतर से बेहोश था कुछ तो था जो उसे खाए जा रहा था उसका ये बदलाव कुछ बताए जा रहा था घुटन हो रही थी उसे पर वो जिए जा रहा था जो उसकी सुन समझ सके उसे ढूंढे जा रहा था पर उसकी बदकिस्मती उसे कोई ना मिला था कान तो सबके थे पर सुनने वाला कोई ना था अब वो खुद नहीं था लोग भी क्या देखते सब यही कह रहे थे कि तुम कह कर तो देखते !! ©saru writes #saru_writes #saru