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#मनहरण_घनाक्षरी तुम्ही छाँव तुम्ही धूप, तुम्ही मे

#मनहरण_घनाक्षरी

तुम्ही छाँव तुम्ही धूप, तुम्ही मेरा प्रतिरूप
तुम्ही मेरी आन-बान, जीवन की आस हो

 जीने का ये रंग-ढंग, साँस-साँस बजे चंग 
तुम्ही अरमान और, तुम्ही अहसास हो ।

 मंदिर की ढोल-थाप, घण्टियों का सुर-नाद
आरती मधुर गान, तुम्ही अरदास हो

भोर की आराधना भी,साँझ की हो कामना भी,
जीने का संज्ञान तुम,अनबुझी प्यास हो।

-----------*अनहद गुंजन*-----------

©Gunjan Agarwal
  #PhisaltaSamay #Man #Prem