एक मतला ना जाने कितने रकीबों से मुसलसल मसरूफ़ हैं वो, और हमें वक़्त पर मिलने का तकाज़ा दे रहे हैं । किसी गैर के दिल की बनकर मल्लिका , हमें ख़िताब ए शहज़ादा दे रहे हैं ©कवि शिवा "अधूरा" #रक़ीब #तक़ाज़ा #standAlone