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घर की दहलीज़ भी अब दहलीज़ सी कहाँ रही भीतर-बाहर को

घर की दहलीज़ भी अब
दहलीज़ सी कहाँ रही 
भीतर-बाहर को बाँटती रेखा
अब दिखती ही कहाँ है
चारदीवारी की हर बात
बाहर गलियों में जाकर ही
ज़ोर-ज़ोर से चीखती है
जिसको सुननी थी
उसने सुनी ही नहीं कभी
ज़माने भर ने जलते तवे पर
कच्ची-पक्की रोटियाँ ही सेंकी हैं
🌹
 #mनिर्झरा 
#yqhindi 
#yqdidi 
#yqlife 
#yqlifelessons 
#yqhindipoetry 
#yqquotes
घर की दहलीज़ भी अब
दहलीज़ सी कहाँ रही 
भीतर-बाहर को बाँटती रेखा
अब दिखती ही कहाँ है
चारदीवारी की हर बात
बाहर गलियों में जाकर ही
ज़ोर-ज़ोर से चीखती है
जिसको सुननी थी
उसने सुनी ही नहीं कभी
ज़माने भर ने जलते तवे पर
कच्ची-पक्की रोटियाँ ही सेंकी हैं
🌹
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