सीता मइया की नगरी में जब लूटी थी अस्मत 40 की मस्त मगन सब भक्त लग्न में नेता की रखवाली की नाथ नहीं थे एक के भी अनाथ ही उनको छोड़ दिया उनकी इक्षा उनकी आशा जहन्नुम में झकझोर दिया चुप रहते और कुछ ना करते लुटती अस्मत देखते रहते मिला था मौका पूछने को सत्ता को झकझोरने को क्यों लूटी थी अस्मत बेटी की क्या उनका कोई मान नहीं पर अस्मत की किसको फिकर फिकर है अपने नेता की लूटती है तो लूटने दो आखिर मेरा क्या जाता है उस छोटी प्यारी गुड़िया से अपना भला क्या नाता है क्यों पूछुं मैं सत्ता से ये सत्ता मेरे पसंद की है फिर लूटती है अस्मत तो क्या हर सत्ता में ही लूटती है पर याद रखो ये स्याह नहीं हाथ सने थे खुनों से लूटी है अस्मत फिर उसकी ही जिसका तुमने ना साथ दिया सत्ता की लोलुपता मे जाने कैसा था ये पाप किया अब जा कर देखो दर्पण खुद ही माफ़ भला कर पाओगे क्या तेरे घर भी बेटी होगी आँख मिला भी पाओगे क्या खुली सड़क थी चलती कार उठा ले गए हैवान सवार किया दरिंदगी उसके साथ फिर मानवता हुई शर्मसार पर खामोश ही फिर हम रह जायँगे सवाल मगर ना दोहराएंगे क्यों हो रहे ये अत्याचार धृतराष्ट्र बनी क्यों ये सरकार न्यायपालिका त्रस्त पड़ी है सरकारें भी भ्रष्ट पड़ी हैं सुख चुके हैं खून तुम्हारे मानवता भी नष्ट पड़ी है पर दोष इन्ही को बस क्यों दूँ मैं लूटी थी अस्मत जब इनकी तो ज्ञान हमें भी था इनका और खामोशी से फिर भी हमने खुनों से था हाथ रंगा बटन दबाया था उनका ही लूटी थी अस्मत जिसने इनकी बटन दबाया था उनका हीलूटी थी अस्मत जिसने इनकी ।। 👆 मेरी कलम कुछ कहती है 👆 😊 रतनेश पाठक 😊 #nojoto #nojotoHindi #shame #rape #beti #bihar