चाँदनी आज रूठी है क्यों चाँद से ये अंधेरा फिज़ाओ में जोरों से है धड़कनें बढ़ रहीं नींद भी है नही ख्वाब भी रूठ बैठे मेरी आंख से ! कुछ तो हुआ इन हवाओं को भी रूठ कर के यहां आज बहने लगीं टूटकर शाख से कितने पत्ते गिरे ये पतझड़ है मुझसे यूं कहने लगी ! नफरतों का बबंडर भी मिट जाएगा ये पतझड़ भी जल्दी निपट जाएगा मुझको उम्मीद है तुम भरोसा रखो ऋतु बसंती में दामन लिपट जाएगा ! 🍁☕#good evening🌷😊 : विचारों की दुनियां के शानदार जीवात्माओं मेरा प्रणाम स्वीकार करो । 😀🙏🍁☕ गीतों की दुनियां में एक नया ट्रेंड चल रहा है जिसे --- देश की जानीमानी #कवयित्री #अनामिकाअम्बर ने --- "गीताधार मुक्तक" नाम दिया है... तीन पंक्ति स्वयं की और एक पंक्ति किसी लोकप्रिय हिंदी फिल्म के गीत की होती है बड़ा अच्छा प्रयोग है आप भी इसका आनंद ले सकते है---- जैसे कि--