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ख़त और तुम एक से लगते हो मुझे दिल खोल देती हूँ दोन

ख़त और तुम एक से लगते हो मुझे
दिल खोल देती हूँ दोनों के समक्ष जब भी
और तुम दोनों समा लेते हो खुद में मुझको
और मेरे उमड़ते हुए दिल के जज़्बात सभी
मेरी खुद से मुलाकात है तुमसे मिलना
जैसे आइने ने निहारा हो रूह को मेरी
ख़त और तुम हो जाते हो मुझसे दूर जब भी
गोधूलि बेला सी उतर आती है आँखों में मेरी
हाँ अब साथ हो मीलों दूर दोनों मुझसे और मैं
तलबगार हूँ कि आए मुड़कर तुम में से कोई !
ख़त और तुम!
 नमस्कार लेखकों।😊

हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । 

इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍

समय सीमा : 18 अक्टूबर, दोपहर 3 बजे तक।
ख़त और तुम एक से लगते हो मुझे
दिल खोल देती हूँ दोनों के समक्ष जब भी
और तुम दोनों समा लेते हो खुद में मुझको
और मेरे उमड़ते हुए दिल के जज़्बात सभी
मेरी खुद से मुलाकात है तुमसे मिलना
जैसे आइने ने निहारा हो रूह को मेरी
ख़त और तुम हो जाते हो मुझसे दूर जब भी
गोधूलि बेला सी उतर आती है आँखों में मेरी
हाँ अब साथ हो मीलों दूर दोनों मुझसे और मैं
तलबगार हूँ कि आए मुड़कर तुम में से कोई !
ख़त और तुम!
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