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गुलाम कि आदत अब तो, ज़हन शुमार हो गई है। परिंदा फड

गुलाम कि आदत अब तो,
ज़हन शुमार हो गई है।
परिंदा फड़फड़ाना भी, 
आज़ादी समझता है।।

~VIREN.... ~ parinde...??
गुलाम कि आदत अब तो,
ज़हन शुमार हो गई है।
परिंदा फड़फड़ाना भी, 
आज़ादी समझता है।।

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viren5956750636837

VIREN...

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parinde...??