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शायद आप मेरी जुबां पे ऐतबार करते हो मगर अफसोस ये क

शायद आप मेरी जुबां पे ऐतबार करते हो मगर अफसोस ये की मेरी जुबां के इशारे से दूर रहते हो

मालूम नहीं आपको रुकती नहीं छांव कभी फिर भी आप तो परछाइयों को हकीक़त समझ लेते हो

मेरे दिल की दास्तां सुन कर भी आपका दिल नहीं मचलता और दर्द जानकर भी मुझसे दूर रहते हो

जब तलक आप इस शहर में थे मशहूर तो मै भी बहुत रहा मगर अब आप पहचानने से इंकार करते हो

 जब कभी हम मिलते हैं दिल से दुआ देते हैं और यकीनन आप भी दुआ का असर महसूस करते हो

🙏🙏मेरी इक और नई ग़ज़ल अफसाना ए ज़िन्दगी🙏🙏

©Prem Narayan Shrivastava मेरे द्वारा स्वरचित इक नई ग़ज़ल अफसाना ए ज़िन्दगी
शायद आप मेरी जुबां पे ऐतबार करते हो मगर अफसोस ये की मेरी जुबां के इशारे से दूर रहते हो

मालूम नहीं आपको रुकती नहीं छांव कभी फिर भी आप तो परछाइयों को हकीक़त समझ लेते हो

मेरे दिल की दास्तां सुन कर भी आपका दिल नहीं मचलता और दर्द जानकर भी मुझसे दूर रहते हो

जब तलक आप इस शहर में थे मशहूर तो मै भी बहुत रहा मगर अब आप पहचानने से इंकार करते हो

 जब कभी हम मिलते हैं दिल से दुआ देते हैं और यकीनन आप भी दुआ का असर महसूस करते हो

🙏🙏मेरी इक और नई ग़ज़ल अफसाना ए ज़िन्दगी🙏🙏

©Prem Narayan Shrivastava मेरे द्वारा स्वरचित इक नई ग़ज़ल अफसाना ए ज़िन्दगी