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अंदर ही अंदर कुछ यूँ उखड़ जाते है इतने समझौतो पर ज

अंदर ही अंदर कुछ यूँ उखड़ जाते है

इतने समझौतो पर जीते हैं की मर जाते है

है तसव्वुर के आलम में कुछ पल जीते

फिर वो आलम भी बिखर जाते है



दिन के अंधेरे में दिये की रौशनी करते है

जो होती है शाम तो सैर को निकल जाते है

ना कोई मंज़िल है न है कोई राह 

जो थक जाए हम कभी तो

जमीं बिछा आसमां ओढ़ वही पसर जाते है

©Anjay kumar #lifeexperience 

#Samjhaute 
#life
#sukoon
अंदर ही अंदर कुछ यूँ उखड़ जाते है

इतने समझौतो पर जीते हैं की मर जाते है

है तसव्वुर के आलम में कुछ पल जीते

फिर वो आलम भी बिखर जाते है



दिन के अंधेरे में दिये की रौशनी करते है

जो होती है शाम तो सैर को निकल जाते है

ना कोई मंज़िल है न है कोई राह 

जो थक जाए हम कभी तो

जमीं बिछा आसमां ओढ़ वही पसर जाते है

©Anjay kumar #lifeexperience 

#Samjhaute 
#life
#sukoon
ajaykumar5103

Anjay kumar

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