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ऐ काश कि ऐसा होता, नफरतों के रिवाज में काला गुलाब

ऐ काश कि ऐसा होता, 
नफरतों के रिवाज में काला गुलाब होता।
हर रास्ते हर गली में लाल गुलाब सा आम होता। 
वो क्या कहें कि मोहब्बत तुमसे कितनी है, 
फरेब बेच रहा है हर दुकान फुल का, 
सच्चाई से सजता नहीं बाज़ार, 
वरना काला गुलाब भी बिक रहा होता।

©Priyanka Mazumdar #कालागुलाब
ऐ काश कि ऐसा होता, 
नफरतों के रिवाज में काला गुलाब होता।
हर रास्ते हर गली में लाल गुलाब सा आम होता। 
वो क्या कहें कि मोहब्बत तुमसे कितनी है, 
फरेब बेच रहा है हर दुकान फुल का, 
सच्चाई से सजता नहीं बाज़ार, 
वरना काला गुलाब भी बिक रहा होता।

©Priyanka Mazumdar #कालागुलाब