वादे पे अपने कोई कहाँ टिका रहा है। जिसे देखा ईमान उसी का बिका रहा। ईमानदार लोग यहाँ चोट खा रहे हैं और बेईमान अपनी ज़िंदगी मजे मे बिता रहा। हर ओर सस्ता है भाव नफरतों का फिर बाद इसके भी हरकोई है भाव खा रहा। #वादा #Viraz #poetry