अब वो रातों को फिर से जगने लगी है,शायद वह फिर से प्यार करने लगी है || बहुत रोई है शायद वो किसी की चाहतों में,इसलिए शायद अब अपनी चाहतें बदलने लगी है || अब वो रातों को फिर से जगने लगी है, शायद वो फिर से प्यार करने लगी है | छोड़ा नहीं है उसने अपनी पुरानी मोहब्बत को बस थोड़ा सा परेशान है,इसलिए शायद अपनी नई चाहत से कुछ बातें करने लगी है || अब वह रातों को फिर से जगने लगी है, शायद वो फिर से प्यार करने लगी है || सच्चा प्यार होता है क्या ? इस सोच में डूबे लगी है, "जो मैंने प्यार किया था क्या वो सच्चा था या जो मैं कर रही हूं वो सच्चा प्यार है या जो कोई मुझसे करता है वह अच्छा प्यार है" बस यही सोच सोच कर खुद से बातें करने लगी है || अब वो रातों को फिर से जगने लगी है, शायद वो फिर से प्यार करने लगी है || अब बात किये बिना मन नहीं लगता उसका, सुबह दोपहर शाम बातें करने के बहाने ढूंढने लगी है || अब वो रातों को फिर से जगने लगी है, शायद वो फिर से प्यार करने लगी है.... अभी बाकी है इस कविता का पूरा होना ...... नईम उददीन if you like than like