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पल्लव की डायरी गर्दिशों में डालकर अफ़साने घटित हो र

पल्लव की डायरी
गर्दिशों में डालकर अफ़साने घटित हो रहे है
घावों पर घाव खाकर बर्बाद बो रहे है
बिछा है जुल्मी बारूद,तबाही का
आज ये घर कल वो घर निशाने पर हो रहे है
नही पसीजता दिल उनका ना न्याय कर रहे है
दर बदर करके हम सबको
जंगली व्यवस्ता कायम कर रहे है
चीखे राबिया की घुटती रही शोरो में
सभ्य समाज हाथ बाँधे है
फल फूल रहा है अत्याचार 
न्याय आँखे बांधे है
सुरक्षा के सारे इंतजाम,रसूखदारों के हवाले है
हम सब को उनने, अपना शिकार बना डाले है
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" हम सबको उनने शिकार बना डाले है
#राबिता # कविताएँ
पल्लव की डायरी
गर्दिशों में डालकर अफ़साने घटित हो रहे है
घावों पर घाव खाकर बर्बाद बो रहे है
बिछा है जुल्मी बारूद,तबाही का
आज ये घर कल वो घर निशाने पर हो रहे है
नही पसीजता दिल उनका ना न्याय कर रहे है
दर बदर करके हम सबको
जंगली व्यवस्ता कायम कर रहे है
चीखे राबिया की घुटती रही शोरो में
सभ्य समाज हाथ बाँधे है
फल फूल रहा है अत्याचार 
न्याय आँखे बांधे है
सुरक्षा के सारे इंतजाम,रसूखदारों के हवाले है
हम सब को उनने, अपना शिकार बना डाले है
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" हम सबको उनने शिकार बना डाले है
#राबिता # कविताएँ