जिस्म की मोहब्बत की भूख नहीं है हमें, हम तो महज़ अल्फ़ाज़ों से प्यार जताते हैं.......... महफ़िल सजती है जब कहीं शायरों की, तो वहां हम किस्से बस तुम्हारे ही सुनाते हैं......... जब भी होता है ज़िक्र हमारे महबूब का तो, सब महफ़िल में तुम्हारी तरफ़ नज़रे घुमाते हैं....... इतनी मिलती है तुम्हारी सूरत शायरी से हमारी, कि अब तो लोग तुम्हें हमारा महबूब बताते हैं....... ©Poet Maddy जिस्म की मोहब्बत की भूख नहीं है हमें, हम तो महज़ अल्फ़ाज़ों से प्यार जताते हैं.......... #Hungry#Love#Words#Gathering#Poets#Stories#Beloved#Eyes#Face..........