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हर शाम से बस यही इंतजार रहता है, जैसे धरा से सूरज

हर शाम से बस यही इंतजार रहता है,
जैसे धरा से सूरज मिलने को बेकरार रहता है।
जब चूर होकर लौट आएंगे दिनभर की थकान से,
तब दिल किसी से प्यार का तलबगार रहता है।

ना आशा ना निराशा ना ही किसी का ख्याल रहता है,
जब थक जाता है इंसान दिनभर की भागदौड़ से,
तब बस वो दो मीठे बोलों का तलबगार रहता है।
हर शाम से बस यही इंतजार रहता है। #हर शाम
हर शाम से बस यही इंतजार रहता है,
जैसे धरा से सूरज मिलने को बेकरार रहता है।
जब चूर होकर लौट आएंगे दिनभर की थकान से,
तब दिल किसी से प्यार का तलबगार रहता है।

ना आशा ना निराशा ना ही किसी का ख्याल रहता है,
जब थक जाता है इंसान दिनभर की भागदौड़ से,
तब बस वो दो मीठे बोलों का तलबगार रहता है।
हर शाम से बस यही इंतजार रहता है। #हर शाम