शीर्षक - पर... अभिषिक्त नयन पर न कोई शिकन चेहरे पर अप्रेख्य हूँ मैं जो जन्मा हूँ वसुंधरा पर ख़्वाहिशें दिल पर जज़्ब है नक़्श पर लाचार हूँ मैं पर हारा नहीं ज़िंदगी की राह पर। ©जीत #chai #nojoto #दिव्यांगकविता #प्रयागराज #Poetry #Lockdown2 #Arushi #task10.22 #27April2020 #प्रयागराज