माँ की डबडबाई आंखों को देख, परी बड़ी सहजता से मुस्कुराई। बड़े हीं भोलेपन अपने आवाज में लिए अपने माँ से आवाज लगाई- माँ आप मेरी शादी कैसे रचाओगी, मेरे लिए कैसा दूल्हा ढूंढ कर लाओगी? शादी देखी थी मैने भी, रामू चाचा के बिटिया की, कितना सुंदर दूल्हा था उसका, मां मेरे लिए भी वैसा हीं ढूंढ पाओगी? इतने सारे बाराती भी तो आई थी, बैंड -बाजों के साथ झूमते- गाते सबने कितनी खुशियां मनाई थी। चाची को भी देखी थी मैने, कितनी सुंदरता से अपने घर को सजवाई थी। कितने हीं धूमधाम से उन्होंने अपनी बेटी की ब्याह रचायी थी। माँ बता न, मेरी शादी कैसी होगी? शीला दीदी के जैसे या रामू चाचा के बिटिया जैसी होगी। बगल में बैठा बाप खुद को संभाला, फिर मुस्कुराते हुए बोला- बेटा, सबसे अलग सा मैं, तेरा ब्याह रचाऊँगा, मैं भी नाचूंगा -गाऊंगा, और खुशियां मनाऊंगा, राजकुमार होगा वो, जिसे मैं तेरे लिए ढूंढ कर लाऊंगा, देखते दंग रह जाएंगे सब, ऐसा घर सजवाऊंगा, कभी हुआ नहीं होगा, ऐसा स्वागत बारातियों का करवाऊंगा। इतने पर बिटिया बोली - बापू मुझे तुझे छोड़ कहीं नहीं जाना है, मुझे आपके साथ रहना है, कोई ब्याह नहीं रचाना है। ब्याह के बाद न तू होगा मेरे साथ, न माँ होगी, न हीं भईया होगा, न कोई ममता होगी। ना ना, मुझे ब्याह नहीं रचाना, मुझे नहीं किसी और घर जाना, कब से मैं पराई धन हो गई माँ, बापू क्यूं चाहता मुझे तू भगाना। रोती हुई बिटिया बोली - मैं साथ रहूंगी तेरी, कभी कहीं नहीं जाऊंगी, माँ कभी तू ऐसा कुछ मत करना, कि अलग हो जाऊं, बापू अलग मुझे होना नहीं, न हीं मैं ब्याह रचाऊंगी।। फिर क्या... ©dashing raaz भाग -7 सारे भागों को पढ़ें फिर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।। #परी #Angel #angelwithhorn #writing #writingcommunity #हिंदी #Hindi #Poetry #लव #story Prabhat malik Vandana Mishra Rajinder Raina Anshu writer Lalit Saxena