जज़्बात से जज़्बात जुडे़,एहसास बन गए सोच के कतरे-कतरे से,ख्वाब बन गए पल-पल के किस्से,यूं सुनहरी याद बन गए होकर जुबानी, आवाज़ बन गए डायरी पर उठी जो कलम मिलकर ये सब,अल्फाज़ बन गए ©Neha Bhargava (karishma) #Alfaaz_E_SiddiQui @nojoto