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1) माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय। एक दिन

1) माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।।

2)माया मरी, न मन मरा, मर मर गए शरीर।
आशा-तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।

3)दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय। 
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।।

4) मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर।
तेरा तुझको सौंप दूं, क्या लागे है मोर।।

इन सब के अलावा," बड़ा हुआ तो क्या हुआ…", और "ऐसी बानी बोलिये…", "निंदक नियरे राखिए…"

ये 7  मुझे सबसे ज्यादा अच्छे लगते हैं और कोशिश करके इनसे मिली सीख को जीवन मे आत्मसात करना चाहिए, ऐसा में मानती हूँ।

©Divya Joshi #kabir #santkabir 
#कबीर_वाणी #kabeerVaani  #कबीरजी_के_रहस्यमयीदोहे #kabeer_Vaani
1) माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।।

2)माया मरी, न मन मरा, मर मर गए शरीर।
आशा-तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।

3)दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय। 
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।।

4) मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर।
तेरा तुझको सौंप दूं, क्या लागे है मोर।।

इन सब के अलावा," बड़ा हुआ तो क्या हुआ…", और "ऐसी बानी बोलिये…", "निंदक नियरे राखिए…"

ये 7  मुझे सबसे ज्यादा अच्छे लगते हैं और कोशिश करके इनसे मिली सीख को जीवन मे आत्मसात करना चाहिए, ऐसा में मानती हूँ।

©Divya Joshi #kabir #santkabir 
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divyajoshi8623

Divya Joshi

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