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मुस्कुराने की वज़ह हो तो मुस्कुराएं "अनुपम", साज

मुस्कुराने  की वज़ह हो तो मुस्कुराएं "अनुपम",
साज भी साथ हो  तो थोड़ा गुनगुनाएं "अनुपम"।

न कुछ बताया हमें, आपने मुंह मुझसे फेर लिया, 
ख़ता बताओ हमारी तो फिर मनाएं तुम्हें अनुपम।

जमाने भर को सुना डाली दिल की दास्तां अपनी,
कोई गर हमसे  भी पूछे तो कुछ बताएं "अनुपम"।

अश्क बहते हैं, हिचकियां भी तो नहीं  आतीं जानम,
किसी के दिल में बसे हों, तो याद आएं "अनुपम"।

करते इज़हार मोहब्बत का,पर ख़ामोशी  से हम तुमसे,
तुम्हारे दोस्तों की महफ़िल में गज़ल  सुनाएंगे अनुपम ।

©RAMESH CHANDRA "ANUPAM"
  #अनुपम