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तरसती निगाहें गुजरा जमाना, मुश्किल है मुख से कुछ क

तरसती निगाहें गुजरा जमाना,
मुश्किल है मुख से कुछ कह पाना I
हाथ में अन्न माथे की शिकन,
जीवन का कैसा ये रंग ?
का‌पता तन और उदर की अग्न,
है इसलिए इतना विरक्त सा मन ।
कुछ करने का मन पर शरीर अंपग,
शायद इसीलिए इतनी आंखें हैं नम । #AnjaniBaate...
तरसती निगाहें गुजरा जमाना,
मुश्किल है मुख से कुछ कह पाना I
हाथ में अन्न माथे की शिकन,
जीवन का कैसा ये रंग ?
का‌पता तन और उदर की अग्न,
है इसलिए इतना विरक्त सा मन ।
कुछ करने का मन पर शरीर अंपग,
शायद इसीलिए इतनी आंखें हैं नम । #AnjaniBaate...