हम इस देश को नए सिरे से संस्कारवान बना सकते हैं । जहां नारी का फिर से सम्मान होगा। वह इस देश की शक्ति बनकर उभर सकती है। शक्ति तब नजर आएगी, जब पुरूष उसके चक्कर लगाएगा और वह छूने भी नहीं देगी। : नारी को ईश्वर ने नर से हजार गुणा ज्यादा शक्तियां देकर, ज्यादा व्यावहारिक समझ देकर पैदा किया है। वह सृष्टि का एक गतिमान तत्व है। परिवार, समाज और संस्कृति का वह निर्माण करती है। नारी शरीर से नहीं, नारीत्व से करती है। स्त्रैण बनकर करती है। जब वह पुरूष से अच्छा पढ़ सकती है, उससे अच्छी नौकरी कर सकती है, तब उसकी नकल क्यों करना चाहती है।