चलो इश्क.., स्वादानुसार करते हैं, प्रेम की.., दाल तुम पकाना, जरा.., चूल्हे की आग धीमी जलाना, समर्पण का,,नमक मै डालता हूँ, जरा.., तुम स्नेह को उसमें हौले से मिलाना, गुणों की.., अपने हल्दी को थोड़ा ज्यादा तपाना, आ जाये निखार फिर चटक रंगों का, जरा.., तुम दाल अच्छे से अपनी गलाना, बात.., जब जीवन मे तड़के की हो तो, जिम्मेदारियों की मिर्च का, तीखापन मै बन जाऊँ, तुम हींग सी करूणा की सुगंध बन जाना, घी.., तुम अपने आचरण का, जरा.., ज्यादा ही,,,हँसकर घुलाना, फिर जो दाल पकेगी अपनी, लज्जत खुशियों की मिलकर, घर-आँगन भर महकेगी ।। #जरा_सा_इश्क़_में ... जरा सा इश्क स्वादानुसार.. दर्द बहुत हुआ.. चलो आज कुछ प्रेम लिखते हैं.. आता नहीं प्रेम लिखने बस एक कोशिश है यह..🙏 #yqdidi #yqbaba #yqsahitya #yqhindi #yqquotes #yq #yqthoughts