#OpenPoetry मुझे चन्द अल्फाजों में मत समेटो। मुझे नफरत की दरारो में मत बाटो। में खुद हो जाऊँगा रुक्सत जमाने से। पर जिन्दा हूँ अभी कफन में मत लपेटो।