काश हम भी परिंदो की तरह होते खुले आसमां में कही खो गये होते कल और आज की फिक्र छोड़कर बस जिंदगी का यू लुत्फ ले रहे होते छोड़कर नफरत की इस दुनिया को एक मोहब्बत का शहर बसा रहे होते निकालकर दिलो से नफरतों को अली बस इश्के वफा के फूल खिला रहे होते सुप्रभात। आओ, हम भी परिंदों की तरह, हम भी आसमाँ की सैर को निकलें। #परिंदोंकीतरह #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #shayari #poetry #myquote #stories