गरीबी गरीबी गरीबों के लिए इस दुनियां में, किसी भी अभिशाप से कम नहीं होती है। ये बड़ी ही बेदर्दी बेहया सी और बेमुरव्वत होती है गरीबी भी बड़ी गजब होती है। कभी फुटपाथों पर, कभी टूटी झुग्गी-झोपड़ियों के साए में पलकर बड़ी होती है। किसी के नसीब में कपड़े नहीं होते, तो किसी को छत कभी नसीब नहीं होती है। रोता है भूखा पेट तो झुक जाता है सर दूसरों के सामने, इसे कोई हया नहीं होती है। आंखें बिना आंसुओं के रोती हैं सूख जाते आंसू सब,यह गरीबी बड़ी जालिम होती है। खुशियों को बहा ले जाती है,कष्टों के आंधियों के तूफानों में रहम भी नहीं करती है। बचपन छिन जाता है, तरसते हैं किताबों के लिए, मजबूरी जाने क्या-क्या कराती है। रोती है ममता, तड़पता है पिता भी पर बच्चों के भविष्य को खुद दांव पर लगाते हैं। भीख मांगते नंगे पांव, फटे पुराने कपड़ों में बदहाल से भटकते हाथ फैलाते रहते हैं। -"Ek Soch" #sanjaysheoran #ritiksheoran #yqdidi #yqbaba #साहित्यिक सहायक #गरीबी