सुर्ख होंठों की लाली, और कानों में बाली। दीवाना बनाये मुझे, तेरी चाल मतवाली। मस्तानी अदाओं से, छू लेती हो मन को। खो जाते हैं हम, पीकर इन आंखों की प्याली। कसूर तो बताते, खुद में कैद करने से पहले। रोकी नहीं जाती हमसे, खुद की बेहाली। मजबूर करते हो मुझे, तुम में खो जाने को। होती नहीं ऐसे, इस दिल की रखवाली। गुनाह काफी है तुम्हारा, हमें बहकाने का। बचना मुश्किल है, अब मत बन सवाली। 🎀 Challenge-325 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 25 शब्दों अथवा 2 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।