रंग के रंगों में रंगकर अपना रंग भूल जाए ये वो अगर मगर बस आज भूल जाए गुलाल और रंगों के खेल को ही तो होली कहते हैं मैं तेरे रंग में रंगू या तू मेरे रंग में रंगे हम दोनों एक दूसरे के रंग में रंगकर इस दुनिया को भूल जाए मनीष