इस कविता के माध्यम से नारी शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया गया है I अबला या सबला अबला या सबला तू बोल कब तक तू ये सहेगी, ताउम्र क्या तू यूँ ही लुटती रहेगी?