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वो रुका नहीं वो एक पल झुका नहीं था सपना बुलंद इतना

वो रुका नहीं वो एक पल झुका नहीं
था सपना बुलंद इतना की वो एक पल भी थमा नहीं
वो सोता तो जगा देता था 
झपकी भी लगी तो उठा देता था
की वो टूटा भी और टूट के बिखरा भी 
क्या करे साहब सपना था मजबूत इतना की फिर भी बिखरा नहीं
हार को वो जानता था ही नहीं
हर पल भागता था वो उस सपने के पीछे वो रुकना जानता था ही नहीं
सपने वो ही नहीं होते जो आप देखते हो
दूसरे के सपनों को अपना बनाकर 
की अब ये मेरा  है वो है सपना

©Pooja Bansal सपना एक खुआब 

#Thinking
वो रुका नहीं वो एक पल झुका नहीं
था सपना बुलंद इतना की वो एक पल भी थमा नहीं
वो सोता तो जगा देता था 
झपकी भी लगी तो उठा देता था
की वो टूटा भी और टूट के बिखरा भी 
क्या करे साहब सपना था मजबूत इतना की फिर भी बिखरा नहीं
हार को वो जानता था ही नहीं
हर पल भागता था वो उस सपने के पीछे वो रुकना जानता था ही नहीं
सपने वो ही नहीं होते जो आप देखते हो
दूसरे के सपनों को अपना बनाकर 
की अब ये मेरा  है वो है सपना

©Pooja Bansal सपना एक खुआब 

#Thinking
poojabansal6624

Pooja Bansal

New Creator

सपना एक खुआब #Thinking #Poetry