हम तुम्हे अपने दिल में बसाने की गलती तो अनजाने में कर बैठे , पर कसम से , तुम्हे इस दिल से निकालने की गलती हमसे चाहा कर भी नहीं होती शायरी,Mastan singh शायरी ,26 मस्तान सिंह