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खामोशी से मेरी हर बात अब सुनती है ये रात कुछ इस तर

खामोशी से मेरी हर बात अब सुनती है ये रात
कुछ इस तरह खुद से रोज होती है मुलाकात
खामोशी ही है जिसने सिखाया जीने का सलीका
वर्ना सख्त हो चली थी अब ये क़ैद-ए-हयात

©Amar Deep Singh
  #Night #lifealone