तुम्हें जो मुझसे इश्क़ है, वो असर काहे का तुम्हे जो मुझसे इश्क़ नहीं है तो तेरा असर काहे का सोचते नहीं हो मेरे बारे में यादों का जो तेरा बसर काहे का तड़पने को मजबुर ना हुए बिन मेरे जो तुम चाहत का फिर मेरी हसर काहे का तुम्हे जो मुझसे इश्क़ नहीं है तो तेरा असर काहे का जिस गली में तेरा इंतज़ार नहीं जिस शहर में तुम नहीं वो गली काहे की ओर वो शहर काहे का यादों के सहारे जीने की जरुरत नहीं मुझे अब इक बार नहीं पल पल मारे जो वो तेरी यादों का फिर ज़हर काहे का तुम्हे जो मुझसे इश्क़ हैं