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आईना, कितना निर्मल है, हमेशा सच दिखाता है, देख कर

आईना, कितना निर्मल है, हमेशा सच दिखाता है,
देख कर हमें तसल्ली हुई, कोई हमें भी अक्स दिखाता है,

देखिएगा सँभल कर आईना, सामना आज है मुक़ाबिल का,
ऐ खुदा बना ऐसा कोई आईना, किरदार दिखाई दे, ना की चेहरा इंसान का,

ए आईने ,तू भी मुझे अब हैरानी से ताक रहा प्रश्न पर प्रश्न हैं कर रहा,
मैं आज भी वो ही हूं, जिस पर तूझे गुमान था‌ कभी। मुक़ाबिल: सम्मुख
A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - ५ फरवरी शाम ५ बजे तक

✔️ ६ पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।
आईना, कितना निर्मल है, हमेशा सच दिखाता है,
देख कर हमें तसल्ली हुई, कोई हमें भी अक्स दिखाता है,

देखिएगा सँभल कर आईना, सामना आज है मुक़ाबिल का,
ऐ खुदा बना ऐसा कोई आईना, किरदार दिखाई दे, ना की चेहरा इंसान का,

ए आईने ,तू भी मुझे अब हैरानी से ताक रहा प्रश्न पर प्रश्न हैं कर रहा,
मैं आज भी वो ही हूं, जिस पर तूझे गुमान था‌ कभी। मुक़ाबिल: सम्मुख
A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - ५ फरवरी शाम ५ बजे तक

✔️ ६ पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।
mrsrosysumbriade8729

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