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खुशी को शब्दो में पिरोया नही जा सकता। ये तो गम की

खुशी को शब्दो में पिरोया नही जा सकता।
ये तो गम की बात है जिन्हे कहा नही जा सकता।

नही मिल पाती हैं जगह गम को मुसकान में।
खुशी को तो होंठो में सजाया जाता। 

महफिलें सजती है खुशी के स्वागत के लिए।
गम को तन्हाइयों में मशरूफ किया जाता। 

चलो एक शाम गम की महफिल सजाते है
खुशी को आंखो में लिए गम को होंठो में लेकर मुस्कुराते हैं।

©Konika
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