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यार कॉमरेड, आज जब वापस अपने शहर आया तो देखा कि सब

यार कॉमरेड,
आज जब वापस अपने शहर आया तो  देखा कि सब बदल चुका है। वो जो तुम मेरे लिए हमेशा इंतजार करतीं थी और मैं ,बस आ रहा हूँ ,आ रहा हूँ यार ,कहकर तुम्हें परेशान किया करता था। आज बड़ा याद आया जब बस स्टैंड पर उतरते हुए खुद को अकेला पाया।हर बार लेट होने की वजह से ही तो तुमने मुझे घडी गिफ्ट की थी। मुझे सच में नही पता था यार उस वक्त समय का महत्व। आज ना जाने क्यूँ सब कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है। तुम्हारे संग हर त्यौहार खुशियों से भरा होता था।ना जाने कितनी ही दीवाली हमने दीपक और बाती की तरह साथ रोशन हो मनाई थीं। आज बिन तुम्हारे मैं अंधकार में हूँ।
इस दीवाली कर दो ना मुझे भी रोशन, भूलकर उन सारी पुरानी खताओं को। इन सर्द रातों में जब हम छत की मुंडेर पर बैठ करते थे कुछ वादे खुद से और सोचते थे ऐसे सजायेंगे घर अपना। अब बिन तुम्हारे वो सब सपना लगता है यार। तुम बिन ये शहर भी अपना होकर अपना नही लगता यार. ... सिर्फ तुम्हारा
... #जलज कुमार #Diwali यार कॉमरेड,
आज जब वापस अपने शहर आया तो  देखा कि सब बदल चुका है। वो जो तुम मेरे लिए हमेशा इंतजार करतीं थी और मैं ,बस आ रहा हूँ ,आ रहा हूँ यार ,कहकर तुम्हें परेशान किया करता था। आज बड़ा याद आया जब बस स्टैंड पर उतरते हुए खुद को अकेला पाया।हर बार लेट होने की वजह से ही तो तुमने मुझे घडी गिफ्ट की थी। मुझे सच में नही पता था यार उस वक्त समय का महत्व। आज ना जाने क्यूँ सब कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है। तुम्हारे संग हर त्यौहार खुशियों से भरा होता था।ना जाने कितनी ही दीवाली हमने दीपक और बाती की तरह साथ रोशन हो मनाई थीं। आज बिन तुम्हारे मैं अंधकार में हूँ।
इस दीवाली कर दो ना मुझे भी रोशन, भूलकर उन सारी पुरानी खताओं को। इन सर्द रातों में जब हम छत की मुंडेर पर बैठ करते थे कुछ वादे खुद से और सोचते थे ऐसे सजायेंगे घर अपना। अब बिन तुम्हारे वो सब सपना लगता है यार। तुम बिन ये शहर भी अपना होकर अपना नही लगता यार. ... सिर्फ तुम्हारा
... #जलज कुमार
यार कॉमरेड,
आज जब वापस अपने शहर आया तो  देखा कि सब बदल चुका है। वो जो तुम मेरे लिए हमेशा इंतजार करतीं थी और मैं ,बस आ रहा हूँ ,आ रहा हूँ यार ,कहकर तुम्हें परेशान किया करता था। आज बड़ा याद आया जब बस स्टैंड पर उतरते हुए खुद को अकेला पाया।हर बार लेट होने की वजह से ही तो तुमने मुझे घडी गिफ्ट की थी। मुझे सच में नही पता था यार उस वक्त समय का महत्व। आज ना जाने क्यूँ सब कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है। तुम्हारे संग हर त्यौहार खुशियों से भरा होता था।ना जाने कितनी ही दीवाली हमने दीपक और बाती की तरह साथ रोशन हो मनाई थीं। आज बिन तुम्हारे मैं अंधकार में हूँ।
इस दीवाली कर दो ना मुझे भी रोशन, भूलकर उन सारी पुरानी खताओं को। इन सर्द रातों में जब हम छत की मुंडेर पर बैठ करते थे कुछ वादे खुद से और सोचते थे ऐसे सजायेंगे घर अपना। अब बिन तुम्हारे वो सब सपना लगता है यार। तुम बिन ये शहर भी अपना होकर अपना नही लगता यार. ... सिर्फ तुम्हारा
... #जलज कुमार #Diwali यार कॉमरेड,
आज जब वापस अपने शहर आया तो  देखा कि सब बदल चुका है। वो जो तुम मेरे लिए हमेशा इंतजार करतीं थी और मैं ,बस आ रहा हूँ ,आ रहा हूँ यार ,कहकर तुम्हें परेशान किया करता था। आज बड़ा याद आया जब बस स्टैंड पर उतरते हुए खुद को अकेला पाया।हर बार लेट होने की वजह से ही तो तुमने मुझे घडी गिफ्ट की थी। मुझे सच में नही पता था यार उस वक्त समय का महत्व। आज ना जाने क्यूँ सब कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है। तुम्हारे संग हर त्यौहार खुशियों से भरा होता था।ना जाने कितनी ही दीवाली हमने दीपक और बाती की तरह साथ रोशन हो मनाई थीं। आज बिन तुम्हारे मैं अंधकार में हूँ।
इस दीवाली कर दो ना मुझे भी रोशन, भूलकर उन सारी पुरानी खताओं को। इन सर्द रातों में जब हम छत की मुंडेर पर बैठ करते थे कुछ वादे खुद से और सोचते थे ऐसे सजायेंगे घर अपना। अब बिन तुम्हारे वो सब सपना लगता है यार। तुम बिन ये शहर भी अपना होकर अपना नही लगता यार. ... सिर्फ तुम्हारा
... #जलज कुमार