कफ़स लग रहा आशियाँ, कर लें गुफ्तगू दुश्मन नहीं है दरमिया, कर लें गुफ्तगू एक आजमाईश कर ही लें, शिकवे गिले मिटा ही दें ये फासले, ये दूरियां, कर लें गुफ्तगू कज़ा समझ रहा हूँ मैं, जो तुम हो हमसफर रब है मुझपे मेहरबा, कर लें गुफ्तगू मैं खुश्क सा शजर ही था, आब बने आप आप मेरे बागबां, कर लें गुफ्तगू अज़lब मे हूँ मैं 'तरूण' , क्या कहूँ तुम्हें क्या आरती ओर क्या अजान , कर लें गुफ्तगू - तरूण भारद्वाज #गुफ्तगू