आहट का कलम हू मैं जीवन के पन्ने पर चलता हूं मैं चलते चलते ठोकर लगी तो रुक जाता हूं मैं डर से वही खड़ी पाई बन जाता हूं मैं नई सोच से दुसरी लाइन बना लेता हूं मैं बदलती वक्त में सुख, दुःख लालच, क्लेश,घृणा प्यार मोहब्बत का बदलती पैराग्राफ हो जाता हूं मैं आखिरी सांस तक का एक कहानी बन जाता हूं मैं ©Neeteesh Kumar आहट का क्रम हूं मैं #allalone